मीठे और रसीले आम, दादाजी के बाग में।
हम जाते जब होती शाम, दादाजी के बाग में।।
कच्चे और पके आमों से
झुकीं बाग की डाली,
रात और दिन करते रहते
दो माली रखवाली,
तोते आते रोज तमाम, दादाजी के बाग में।
मीठे और रसीले आम, दादाजी के बाग में।।
अच्छे लगते आम रसभरे
हम सब मिल कर खाते,
आम फलों का राजा होता
दादाजी समझाते,
नीलम, केसर, लँगड़ा आम, दादाजी के बाग में।
मीठे और रसीले आम, दादाजी के बाग में।।
आम बहुत गुणकारी होता
सेहत सही बनाता,
और आम के पत्तों से भी
रोग दूर हो जाता,
गुठली के मिल जाते दाम, दादाजी के बाग में।
मीठे और रसीले आम, दादाजी के बाग में।।